क्या लिखूँ मैं खुद के बारें में। बस वो सब उकेर देता हूँ अपनी कृतियों में जो मेरे मानस-पटल की लहरों में हिलोरे ले रही होती हैं।
Share with friendsमाँ तो माँ होती है, माँ पर कुछ लिखना मेरे सामर्थ्य में नहीं। सिर्फ इतना कहूँगा कि- एक माँ... वो सब कुछ भी समझती है जो बच्चा नहीं कहता...
खुद का व्यवहार ऐसा रखें कि "किसी की आँखों में आँसू आपके लिए होना"। व्यवहार ऐसा न रखें कि "किसी की आँखों में आँसू आपकी वजह से होना"।।