|| कवि मन मेरा || ••मैं स्त्री देह में अनंत यात्राओं को लिखती रहीं ••
आशिमा भी धीरे-धीरे उन सभी बातों को भूल गई जो उसे परेशान करती थीं। आशिमा भी धीरे-धीरे उन सभी बातों को भूल गई जो उसे परेशान करती थीं।
शुरू रहती है तो बस वही पुरानी कहानी। शुरू रहती है तो बस वही पुरानी कहानी।
उस एक पल में मयूरी ने माधव के विश्वास भरे कोमल स्पर्श को महसूस किया। उस एक पल में मयूरी ने माधव के विश्वास भरे कोमल स्पर्श को महसूस किया।
दोनों की आंखों में तो आंसू थे मगर चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी। दोनों की आंखों में तो आंसू थे मगर चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी।