स्वतंत्र लेखिका,विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित होती रहती हैं
बुढापा ---- कल रात मैं जब सोई थी मीठे मीठे सपनों में खोई थी तभी अचानक ऐसा लगा कि बुढापा ---- कल रात मैं जब सोई थी मीठे मीठे सपनों में खोई थी तभी अचानक ऐसा लगा ...
कभी .... नई साड़ी में ... तो कभी खुद सजने में कभी .... नई साड़ी में ... तो कभी खुद सजने में
लेकिन सच तो यह है कि हम थोड़ा थोड़ा परेशान हैं। लेकिन सच तो यह है कि हम थोड़ा थोड़ा परेशान हैं।
न मोरा देवर न मोरी ननद किसके ऊपर मैं करूँ रंगों की बौछार। न मोरा देवर न मोरी ननद किसके ऊपर मैं करूँ रंगों की बौछार।
ये मौसम है मदमाता मन मयूर उदास हो रहा पिय बगरो है वसंत। ये मौसम है मदमाता मन मयूर उदास हो रहा पिय बगरो है वसंत।
तुम शक्तिरूपिणी हो तुम अपनी शक्ति को पहचानो। तुम शक्तिरूपिणी हो तुम अपनी शक्ति को पहचानो।
मन से खुश होते थे अपने जीवन में संतुष्ट थे मन से खुश होते थे अपने जीवन में संतुष्ट थे
मेरी पलकें नई नवेली सी शर्मा कर झुक जाती हैं मैं खुशकिस्मत हूँ मेरी पलकें नई नवेली सी शर्मा कर झुक जाती हैं मैं खुशकिस्मत हूँ
मैं खुश किस्मत हूँ क्योंकि मेरे वो मुझे बहुत प्यार करते हैं। मैं खुश किस्मत हूँ क्योंकि मेरे वो मुझे बहुत प्यार करते हैं।
सरसों आज भी फूलती है अमराई में आज भी बौर लगते हैं! सरसों आज भी फूलती है अमराई में आज भी बौर लगते हैं!