मी गृहिणी असून , कविता माझ्या आयुष्याचा अविभाज्य भाग आहे . वाचन आणि प्रवास आवडते छंद आहेत .
मुझे बांध लेती है उनकी निगाहे प्रेम की डोर से।। मुझे बांध लेती है उनकी निगाहे प्रेम की डोर से।।
कुछ अधूरापन सा लगता है तुम्हारे बिना ।। कुछ अधूरापन सा लगता है तुम्हारे बिना ।।
हां मै गुन्हगार हूंं तुम्हारी तुमसे प्रीत जो लगायी ।। हां मै गुन्हगार हूंं तुम्हारी तुमसे प्रीत जो लगायी ।।
आज निकला मै घर से देख नजारा बाहर का हंस दिया। आज निकला मै घर से देख नजारा बाहर का हंस दिया।