poetry writer student part time shayar
बारी बारी सबसे मुझे नोचा गया अपनी हवस का मुझे शिकार बनाया गया बारी बारी सबसे मुझे नोचा गया अपनी हवस का मुझे शिकार बनाया गया
अब तो हुकूमत ने भी के दिया आत्मनिर्भर बनो लगता है हुकूमत का भी ज़मीर मर गया। अब तो हुकूमत ने भी के दिया आत्मनिर्भर बनो लगता है हुकूमत का भी ज़मीर मर गया।
जो पहुंचा अपने घर वो मजदूर हूँ हाँ मैं मजबूर हूँ। जो पहुंचा अपने घर वो मजदूर हूँ हाँ मैं मजबूर हूँ।