कवि, शायर, लेखक तू अकेला ही चला था फिर ये मेला कैसा, इस तपती हुई जिन्दगी में झमेला कैसा..... #मेरीकलमसे #राहुलयादव #निशब्द
अभी तो मंजिल जैसे दूर है, खंडहर पड़े सब रास्ते, अभी तो मंजिल जैसे दूर है, खंडहर पड़े सब रास्ते,
नज़रें झुकी हुई थीं, आंखें गढ्ढे में धंसी हुई थीं। नज़रें झुकी हुई थीं, आंखें गढ्ढे में धंसी हुई थीं।
अदाओं से जो बोलते हो, वो जुबानी लिख रहा हूं..... अदाओं से जो बोलते हो, वो जुबानी लिख रहा हूं.....