मैं इस उन्मुक्त गगन का वो आजाद पंछी हूँ, जो लोगों की उम्मीद पर नहीं, अपनी जिद पर जीता है
कोई लाख पूजता हो यहाँ पहाड़ को फिर भी कहीं तो इंसानियत की कमी सी लग रही है। कोई लाख पूजता हो यहाँ पहाड़ को फिर भी कहीं तो इंसानियत की कमी सी लग र...
महफिल में सब के साथ रो कर तो देखो! अकेले हँसना कितना मुश्किल होता है जान जाओगे महफिल में सब के साथ रो कर तो देखो! अकेले हँसना कितना मुश्किल होता है जान जाओग...
बेशक अब वो ख्वाबों में नहीं आती मेरे लेकिन बिन उसके अब भी हमसे सोया नहीं जाता वो जहाँ भी रहे म... बेशक अब वो ख्वाबों में नहीं आती मेरे लेकिन बिन उसके अब भी हमसे सोया नहीं जाता...
यूँ बेवजह मोहब्बत किसी पर लुटाया न कर जो चला गया, उसे वापस बुलाया न कर यूँ बेवजह मोहब्बत किसी पर लुटाया न कर जो चला गया, उसे वापस बुलाया न कर