मैं इस उन्मुक्त गगन का वो आजाद पंछी हूँ, जो लोगों की उम्मीद पर नहीं, अपनी जिद पर जीता है
लाख कोशिशें की उसने निगाहें फेरने की मगर मेरी मोहब्बत से हार गई वो!