Bibliophile, Engineer, Freelance writer,
जो है इसी बस्ती के लेकिन जिनका कोई मकाँ नहीं है। जो है इसी बस्ती के लेकिन जिनका कोई मकाँ नहीं है।
आज तुम्हारी भी बातें शीरीन सी लगती है। आज तुम्हारी भी बातें शीरीन सी लगती है।
कहने को तो ये देवी हैं ,फिर क्यूँ बलात्कार करता पूजारी है।ये पूछ रही है दुनिया से, कब तक ये ज़ुल्म ज... कहने को तो ये देवी हैं ,फिर क्यूँ बलात्कार करता पूजारी है।ये पूछ रही है दुनिया स...
कभी ख़्वाबों में भी जो तेरा दीदार होता है, ऐसा लगता है आया बहार है दिल का। दुनिया में यूँ तो लाखों ह... कभी ख़्वाबों में भी जो तेरा दीदार होता है, ऐसा लगता है आया बहार है दिल का। दुनिय...
खाई थी साथ जिसने जीने-मरने की लाखों कसमें, सागर का ख़्वाब देकर सहरा में छोड़ दिया है। खाई थी साथ जिसने जीने-मरने की लाखों कसमें, सागर का ख़्वाब देकर सहरा में छोड़ दिया...