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निश्चिंत होकर थक न जाना, जोर लगाकर आगे जाना। निश्चिंत होकर थक न जाना, जोर लगाकर आगे जाना।
माँ के चरणो में धाम है। उसके आँचल में विश्राम है। माँ के चरणो में धाम है। उसके आँचल में विश्राम है।
रुबीना जैसे ही भोपाल की उन गलियो में दिलजीत के साथ 25 साल बाद घुसी। रुबीना जैसे ही भोपाल की उन गलियो में दिलजीत के साथ 25 साल बाद घुसी।