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स्नेह-ममता की आँचल ले के, चली वृद्ध माँ दूर पैदल, स्नेह-ममता की आँचल ले के, चली वृद्ध माँ दूर पैदल,
आज मैं हूँ बहुत दूर, नहीं मेरे बंग में आज मैं हूँ बहुत दूर, नहीं मेरे बंग में
दूर गगन तले कोई करे आत्म-मंथन अश्रुशिक्त हृदय-नयन करे परिवार का चिंतन। दूर गगन तले कोई करे आत्म-मंथन अश्रुशिक्त हृदय-नयन करे परिवार का चिंतन।