स्याही नही दर्द लिखता हूँ... बीते लम्हे और तन्हाई से सीखता हूँ... जमाने के बदलते रंग और वसूल से कुछ खामोश आँखों का मैं दर्द लिखता हूँ..
बीता हुआ ख़ुशी या ग़म का पल.. उसे याद रखने का ये मौका देती है. बीता हुआ ख़ुशी या ग़म का पल.. उसे याद रखने का ये मौका देती है.
पर मेरी आखरी साँस तक प्यार कभी तेरे लिए कम ना हो। पर मेरी आखरी साँस तक प्यार कभी तेरे लिए कम ना हो।
कभी चुप रहती नहीं कभी बेजुबां सी। कभी चुप रहती नहीं कभी बेजुबां सी।
जो हर पल तुझे याद दिलाये मुझे वो इजहार बनना है। जो हर पल तुझे याद दिलाये मुझे वो इजहार बनना है।
बहुत से पल जो याद आएंगे फिर अब खुशी खुशी जी रहा हूँ। बहुत से पल जो याद आएंगे फिर अब खुशी खुशी जी रहा हूँ।