Poet | Writer | Rider नमस्कार, मैं पियूष कुमार। Kahaniyan likhta hoon. 📩 : pateriyapiyush08@gmail.com
नगें पैरों तले मैदान में पतंग लिए, पुरानी यादें ताजा करते हैं। नगें पैरों तले मैदान में पतंग लिए, पुरानी यादें ताजा करते हैं।
मैं शहर में गाँव ढूंढ रहा था, और गाँव शहर हो चला था। मैं शहर में गाँव ढूंढ रहा था, और गाँव शहर हो चला था।
जल भवंर में फँसती कभी, तो कभी डूबने का डर सताती मेरी नाव, जल भवंर में फँसती कभी, तो कभी डूबने का डर सताती मेरी नाव,