i am a writter.
कुछ भी तो नहीं शायद टुकड़े में बंटे आदमी की नियति यही है। कुछ भी तो नहीं शायद टुकड़े में बंटे आदमी की नियति यही है।
आज भी बिजली चमकी है है आज भी पानी बरसा। आज भी बिजली चमकी है है आज भी पानी बरसा।
नारी होगी तुम्हारे लिए बिचारी ही छल, छद्म वेष और प्रेम का झूठा अलाप भरा ही होगा नारी होगी तुम्हारे लिए बिचारी ही छल, छद्म वेष और प्रेम का झूठा अलाप ...
प्रत्युष वेला में छुपने लगे जब चांदनी तुम चुपचाप समा जाना मुझ में हर रात बिखेरना फिर वही जादू ... प्रत्युष वेला में छुपने लगे जब चांदनी तुम चुपचाप समा जाना मुझ में हर रात बि...