वो जो आहिस्ता से दबे पाँव आते है ना अहसास वो हमें शा के लिए 'बस' जाने को आते है।
नादान होते हैं या अनजान नादान होते हैं या अनजान
'समर्पित रहें सारे एहसास न हो कहीं विरोधाभास संशय न रहे आस पास इतना हो अटूट विश्व 'समर्पित रहें सारे एहसास न हो कहीं विरोधाभास संशय न रहे आस पास इतना ...
तुम अपने ‘परों ’को तोलने लगी हो सुना है अब तुम बोलने लगी हो ? तुम अपने ‘परों ’को तोलने लगी हो सुना है अब तुम बोलने लगी हो ?
थाम कर उँगली फिर दूर कहीं ले आता है थाम कर उँगली फिर दूर कहीं ले आता है
कभी कर दिया करो माँ बाबा को यूँ ही फ़ोन कह के कि बात करने को मन हुआ कभी कर दिया करो माँ बाबा को यूँ ही फ़ोन कह के कि बात करने को मन हुआ
बहुत क़रीब से अक्सर समझ नहीं आता। बहुत क़रीब से अक्सर समझ नहीं आता।
तुम उसके लफ्जों को हक़ीक़त ना समझ लेना तुम उसके लफ्जों को हक़ीक़त ना समझ लेना