I'm अरविन्द दाँगी and I love to read StoryMirror contents.
अब दिल में है ईर्ष्या, और मन यहाँ दूषित। जन-जन का मेल नहीं, तन क्यों हुआ संदूषित।। अब दिल में है ईर्ष्या, और मन यहाँ दूषित। जन-जन का मेल नहीं, तन क्यों हुआ संदू...
सतयुग वाला रावण रोये, देख कलयुग का प्रसार। द्वापर का दुःशासन विस्मित, नित देखा जब दुराचार।। सतयुग वाला रावण रोये, देख कलयुग का प्रसार। द्वापर का दुःशासन विस्मित, नित देख...
हाँ जो बेहतर होगा औरों से। हाँ जो भविष्य सँवारे जोरों से।। उसका ही होगा राजतिलक। पाएगा वो ह... हाँ जो बेहतर होगा औरों से। हाँ जो भविष्य सँवारे जोरों से।। उसका ही होगा रा...