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उस पहली और आखिरी मुलाकात के बात हमारी बातों के मुद्दे बदल चुके हैं। उस पहली और आखिरी मुलाकात के बात हमारी बातों के मुद्दे बदल चुके हैं।
कॉलेज आते जाते तुम्हे देखता हूँ, हर बार एक अलग रूप होता है तुम्हारा। कॉलेज आते जाते तुम्हे देखता हूँ, हर बार एक अलग रूप होता है तुम्हारा।
रिश्ते उस सूखे कुँए की तरह हो गए है, जिस पर कभी बिना कपड़ो के नंग धड़ंग नहाते थे, जिस पर पानी भरने के ... रिश्ते उस सूखे कुँए की तरह हो गए है, जिस पर कभी बिना कपड़ो के नंग धड़ंग नहाते थे, ...
कागज़ के पैमाने में उस परिवार से जीत गया था। लेकिन मेरी जीत की निशानी ये नोट मेरे मन और हाथ दोनों को ... कागज़ के पैमाने में उस परिवार से जीत गया था। लेकिन मेरी जीत की निशानी ये नोट मेरे...
ज़रूरत और ज़िन्दगी को मासूमियत से कोई खास मतलब कहाँ होता हैं। ये वही मासूमियत थी जो शायद कम उम्र की वज... ज़रूरत और ज़िन्दगी को मासूमियत से कोई खास मतलब कहाँ होता हैं। ये वही मासूमियत थी ज...