i am writer and the editor of gujarati daily 'phulchhab' , published from rajkot- Gujarat
बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है? बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है?
सूटकेस में पुरानी यादें भरी जाती थीं। सूटकेस में पुरानी यादें भरी जाती थीं।
प्रश्न तो अभी तक पूछा जाता है प्रश्न तो अभी तक पूछा जाता है
लेकिन कोरोना की भूख मिटती ही नहीं। लेकिन कोरोना की भूख मिटती ही नहीं।
जो अकेलापन महसूस करते हो वैसा ही अकेलापन हमने महसूस किया है जो अकेलापन महसूस करते हो वैसा ही अकेलापन हमने महसूस किया है