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घर-घर जाकर दाणों माँगह, भगत लुगायां ताणों मारह, घर-घर जाकर दाणों माँगह, भगत लुगायां ताणों मारह,
दिनकर की किरणें भर रहीं, प्रकृति-रंग न्यारा। दिनकर की किरणें भर रहीं, प्रकृति-रंग न्यारा।
पानी बचाओ तुम सब,जल पहुँचे सब दूर जल का संकट मिटेगा, नीर मिले भरपूर । पानी बचाओ तुम सब,जल पहुँचे सब दूर जल का संकट मिटेगा, नीर मिले भरपूर ।