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सोचा तुम्हें सजाऊंगा एक बार अपने हाथ आना इक बारी बिना संवरे हमारे साथ सोचा तुम्हें सजाऊंगा एक बार अपने हाथ आना इक बारी बिना संवरे हमारे साथ
यूं भूले बिसरे याद करके इस मौके पर पहले मोहब्बत की तरह हो जाना। यूं भूले बिसरे याद करके इस मौके पर पहले मोहब्बत की तरह हो जाना।
जो भी गया सार्वभौम आचरण तक वो रहा इतिहास के पन्नों की धूल तक। जो भी गया सार्वभौम आचरण तक वो रहा इतिहास के पन्नों की धूल तक।
यहाँ कुर्बान होते है तो सारा देश रोता है कुछ जयचन्दों के चन्दो से ,हिंदुस्तान रोता है! यहाँ कुर्बान होते है तो सारा देश रोता है कुछ जयचन्दों के चन्दो से ,हिंदुस्तान...
जो भी गया सार्वभौम आचरण तक वो रहा इतिहास में कूटनीति की धूल तक। जो भी गया सार्वभौम आचरण तक वो रहा इतिहास में कूटनीति की धूल तक।