सीखने के पथ पर अग्रसर हूँ।
आव देखा न ताव, जूते अपनी छाती से सटाए और उन्हें घर के भीतर ले आई। आव देखा न ताव, जूते अपनी छाती से सटाए और उन्हें घर के भीतर ले आई।
"बहुत भर लिया धुआँ भीतर...अब भीतर, और धुआँ भरता देखने की मुझमें गुंजाइश नहीं बची।" "बहुत भर लिया धुआँ भीतर...अब भीतर, और धुआँ भरता देखने की मुझमें गुंजाइश नहीं बची...
अब दोनों वक़्त दादी की खिचड़ी का कटोरा ख़ाली होता था। अब दोनों वक़्त दादी की खिचड़ी का कटोरा ख़ाली होता था।
नीलिमा को अपने उपन्यास " भूख " के खलनायक पात्र का स्मरण हो आया। नीलिमा को अपने उपन्यास " भूख " के खलनायक पात्र का स्मरण हो आया।