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सुबह की किरणों को रोकें, जो सलाखें है कहाँ जो खयालों पे पहरे डाले वो आँखें है कहाँ पर खुलने की देर... सुबह की किरणों को रोकें, जो सलाखें है कहाँ जो खयालों पे पहरे डाले वो आँखें है क...
कभी कभी मैं ये सोचता हूँ, कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो तो ऐसा लगता है दूसरी सम्त जा रह कभी कभी मैं ये सोचता हूँ, कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो तो ऐसा लगता है दूस...
किताबों पे सर रख के किताबों पे सर रख के
वो बसती थी, वो बसती है, वो बसती रहेगी अभी भी ज़हन में मेरे, उसी का नाम बाकी है वो बसती थी, वो बसती है, वो बसती रहेगी अभी भी ज़हन में मेरे, उसी का नाम बाकी ह...