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Arfat Ansari

Others

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Arfat Ansari

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ये जिंदग आसान नहीं

ये जिंदग आसान नहीं

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कभी कभी मैं ये सोचता हूँ,

कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो

तो ऐसा लगता है

दूसरी सम्त जा रहे हैं,

मगर हक़ीक़त में

पेड़ अपनी जगह खड़े हैं

तो क्या ये मुमकिन है

सारी सदियाँ

क़तार-अंदर-क़तार अपनी जगह खड़ी हों

ये वक़्त साकित हो

और हम ही गुज़र रहे हों

इस एक लम्हे में

सारे लम्हे

तमाम सदियाँ छुपी हुई हों

न कोई आइंदा

न गुज़िश्ता

जो हो चुका है

जो हो रहा है

जो होने वाला है

हो रहा है

मैं सोचता हूँ

कि क्या ये मुमकिन है?

सच ये हो

कि सफ़र में हम हैं

गुज़रते हम हैं

जिसे समझते हैं हम

गुज़रता है

वो थमा है

गुज़रता है या थमा हुआ है

इकाई है या बटा हुआ है

है मुंजमिद

या पिघल रहा है

किसे ख़बर है

किसे पता है

ये वक़्त क्या है?


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