शायद मैं अभी पराई हूं, और कितने साल पराई रहूंगी। कोई बता सकता है? वह भी तब जब मैंने अपना तन-मन धन सब अर्पण कर रखा है।
आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी ज
जो प्रेम गली आया ही नही प्रियतम का ठिकाना क्या
शायद मैं अभी पराई हूं, और कितने साल पराई रहूंगी