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क्या पता समस्या हो ही नहीं ...

क्या पता स

Motivational Stories

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''समस्या'' होती ही नहीं ...

कई बार जिंदगी में कोई ''समस्या'' होती ही नहीं औ

हर बात तुम्हारी अच्छी है ...

मैं कितना भी कुछ कहता रहूँ,

पर हर बात तुम

'परमवीर' को आप क्या कहेंगे ...?

आप उसे नाम नहीं दे पाएंगे ..क्योंकि आपका उससे प

अहंकार की भाषा ...

इंसान का इंसान से जुड़े रहने का बस एक यही रास्त

टिफिन लगानाभर नहीं है ...

क्योंकि टिफिन लगाना

टिफिन लगानाभर नहीं ह

सच्ची लॉटरी....

मैं उस बूढ़े आदमी का चेहरा देखकर हैरान था कि ऐस

मैंने दहेज़ नहीं माँगा ...

झूठे दहेज के मुकदमों के कारण,

पुरुष के दर

मास्टरपीस ...

काश! मैंने तुम्हें रंगीन चॉक दे दिया होता...तो

सुनो न......

माफ़ कर देना नहीं समझ पाया तुम्हे कभी....

निष्ठुर ...

हम तो निष्ठुर आदमी है ...

गोल गप्पे ...

हम दोनों के चेहरे भीगे है

मालूम नहीं बरस

चार मिले चौंसठ खिले ...

चार मिले चौंसठ खिले, बीस रहे कर जोड़!

प्रे

पिता का आशीर्वाद ...

अपने बुजुर्गों का सम्मान करें! यही भगवान की सबस

संसार का नियम भी ऐसा ही है ...

जिन्हें दूसरों को जितना होता है वे खुद नहीं लड़त

याद है पहले रोज कहा था....

गुम जाता हूँ ,खो जाता हूँ

मैं पत्थर का हो

जब भगवान ने बनाई स्त्री ...

यह अपना महत्व भूल जाती है ...

वे शिक्षक थे ...

शायद उस दिन वे एक पूरे दिन की छुट्टी

वेत

यार लड़कियों ...

स्त्री जाति का सम्मान दिल से करता हूं ... #wome

नारी अबला नही सबला बनो ...

#womenofhubhopper अब श्रीकृष्ण नही आयेगे आप का

The काश्मीर फाइल्स ...

आपका भूतकाल The काश्मीर फाइल्स में चीख रहा है .

उम्र का मौसम ...

मन की अलमारी ....

ज़िंदगी मुट्ठी में रेत की तरह होती है ...

कब मुट्ठी से वो निकल जाएगी, पता भी नहीं चलेगा।<

एक मुहावरा है ...

सब का मंगल हो ..

तू एक बार लड़का बन कर तो देख...

तुझे कृष्ण बनकर प्रेम का राग सुनाना पड़ेगा..

समय का खेल ...

कौन बडा कौन छोटा जो कल था वो आज नही है और जो आज

पांच सौ तेरे औऱ पांच सौ मेरे ...

कोई भी ख़रीद ले

हम बिकने को तैयार नहीं

स्त्री प्रेम में रो सकती है ...

नारी सबको प्यारी हो सकती है, तो सब पे भारी भी ह

जागो भारत वासियो जागो ...

संस्कार के साथ-साथ संस्कृति भी पूर्णतः विलुप्त

कुछ पुरुष अनोखे होते है....

कुछ पुरुष अनोखे होते हैं..

कितना नादान था मैं ...

कितना नादान था मैं हकीकत से अनजान था....

खुद को गिरा कर रिश्ता बचा रहे थे हम..

वक्त रहते खुद को आइना दिखा रहे थे हम...कागज पर

भरोसा खुद से ...

शाख भी कमज़ोर पत्तों को....

बक्त पर छोड़

ये गृहणियाँ भी थोड़ी पागल होती हैं ...

ये गृहणियाँ भी.....

वक्त़ के साथ ढल जाती

साबुन के टुकड़े ...

मैं रोज़ ऐसे ही नहा लेता हूँ....

मेरे अजनबी हमसफ़र....

किसी को रोते देख कर हँसो मत क्योंकि पता नही वो 

एक तनख्वाह से कितनी बार टेक्स दूं और क्यों...जवाब है???

आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी ज

भगवा धोती तिलक कौन रोक रहा है सर ?

हमें बदलना होगा पीढ़ियों के लिये तुरंत

मैं एक टेडी बियर हूँ ..

खिलौना बच्चों की चीज़ है इसकी महत्ता कोई बच्चा ह

जिंदगी की धड़कन ....

छोटा सा जीवन है प्यारे, हँस के गुजार दे।

मैं तुम लोगो की पंचिंग बैग हूँ क्या ?

सभी महिलाओं को ससम्मान समर्पित ...

प्यार..... करना, जताना और निभाना... तीनो अलग अलग बाते है..

जो प्रेम गली आया ही नही प्रियतम का ठिकाना क्या

प्रपोज़ डे ...

आखिर शुभ दिन कुछ मीठा तो होना ही चाहियें न !

एक महोब्बत ऐसी भी...

हाँ पागल थी। तेरे प्यार में...

मिडिल क्लास ...

"मिडिल-क्लास" का होना भी किसी वरदान से कम नहीं

पिता का प्रेम

पिता के प्रेम का पता तब चलता है जब वो नही होते.

खाली कुर्सी का राज

आकर्षण शायद अनेको के लिए हो सकता है, समर्पण किस

बनारस

तो सुनो न यार ...

हमारा भी एक जमाना था...

हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम पर हमारा भी ए

थेथर होती हैं औरतें ..

इस बार ठंड की सुबह की चाय आप खुद बनाइये..देखिए

औरत क्या है ?

साहस भी है, अहसास भी है ईश्वर की रचना खास भी है

जब वो मांग में सिंदूर आते ही ...

लड़की से औरत बन जाती है।

बीवी का दिमाग...

सभी विवाहित पुरुषों को प्रेषित

गंदे पापा ....

डैड के तेज गुस्से के पीछे का प्यार महसूस कर सको

लाचार आँखे

उन आँखों मे वह देख पा रही थी इंतजार अपने बच्चों

नहीं.. अभी मैं कबाड़ नहीं हुआ हूँ

कैसा यह मकान है जहाँ भविष्य में पाले जाने वाले

सफर एक कहानी ...

एक सफर वो था जिसमे कोई हमसफर था।

एक सफर आ

प्लम्बर...

मैं बहुत देर तक सोचता रहा।

काश! हम सब ऐस

औरत तो पराई होवे ...

शायद मैं अभी पराई हूं, और कितने साल पराई रहूंगी

मां के पल्लू...

मुझे नहीं लगता, कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूँढ

मर्द इसे कहते हैं.........

मर्द की मर्दानगी कुत्तो में नहीं शेरो में आजमाई

एक स्लोगन पढा़ ..

सबसे अच्छा सबसे बढ़िया स्लोगन..

दिसम्बर....सिर्फ साल का अंतिम महीना नहीं होता

दिसम्बर....सिर्फ साल का अंतिम महीना नहीं होता

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना....

जिते जी दिया नहीं सकून ओर शांति ,मत सोचो मिलेगा

बिहार का बियाह

बिहार का एगो खास बात है आप चाहे लाख होटल, मैरिज

Crush क्या होता है..

Crush प्रेम से भी पवित्र और गहरा शब्द है, शायद

बाप और बेटी का रिश्ता

बाप_बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है।

तर्क करना एक कमजोरी है

ये क़िस्मत है...

            कभी भी बदल

ऐसे लड़के बहुत कम होते है....

वो लड़के ईश्वर की बक्शी नेमत होते है..

मैं हिंदू हूँ ...

वस्त्तुतः सच यह है कि हम सुबह से रात तक इन चारो

ईश्वर दोषी नहीं है ...

जिम्मेदार आप स्वयं है...

कर्म का फल...

मिटाने से मिटता नहीं कभी कर्म का ये लेख

भीतर ही निर्णायक है...

असली सवाल यह नहीं कि तुम बाहर से क्या हो,,,असली

मैं और मेरी चाय...

वो गुस्से में और ज्यादा लाल और गर्म हो रही थी..

प्रणाम करने का स्वभाव...

अभिवादनशीलस्य, नित्यं वृध्दोपसेविनः ।

चत्

हज़ार अच्छाइ - एक बुराई

यह कहानी हमें क्षमाशील होना सिखाती है...

एक चिड़ीमार...

ऐसे धोखेबाज तीतरों से सावधान रहें..!

आज वो घर पर है - इसलिए.....

स्त्री किसी भी रूप में हो मगर, घर को घर वही बना

मर्द - ऐसे नहीं है..

यह मर्द ही होते हैं जो रोते नहीं हैं लेकिन फिर

मजदूर का बेटा..

आज फिर से मुझे हराकर चला गया....

हरसिंगार.... नाम में ही कितना रस, कितना आकर्षण है

हरसिंगार या पारिजात या शेफ़ाली जो भी कह लें...

बेटी पराई नहीं लगती

बहुत प्यारी होती है बेटियाँ ,

न जाने लोग

अच्छे और बुरे लोगों की पहचान

अगर हम अच्छाई देखना चाहें तो हमें अच्छे लोग मिल

जैसा अन्न वैसा मन...

जैसे ही वे पुण्य कर्म समाप्त होंगे, उसके दुर्दि

भगवान् तो है...

भगवान् है साहब ... भगवान् तो है....

पुरुष होते ही ऐसे हैं.........

क्योंकि वे तुमसे प्यार करते हैं...क्योंकि पुरुष

एक दौर वो भी था...

एक दौर वो भी था...

दीपावली स्पेशल...

दीपावली पर मिठाई बांटने के पीछे भी एक सोच होती

सभी गृहणीयो को समर्पित....

रसायनशास्त्र से शायद ना पड़ा हो पाला

 पर

ऑनलाइन इश्क़ क्या है .... ????

गुफ्तगू करने की.. अनगिनत ख्वाहिशों के बीच..

खैर सबकुछ ठीक ही है...

मन खाली सा हो गया है...कुछ भी ठहरता नहीं बहुत द

क्या ढ़कना है और क्या खुला रखना है ...??

हम भारतवासियों को कवर चढ़ाने का बहुत शौक है...।।

कर्मो का लेख...

बेटा बन कर,बेटी बनकर, दामाद बनकर,और बहु बनकर कौ

बुजुर्गों का सम्मान...

यदि वृक्ष से फल न मिले, तो कोई बात नहीं, किन्तु