शुरुआत
शुरुआत
"अहा ! क्या अदा है ...." नीरज ने पास से गुजरती लड़की पर कमेंट पास किया, शालिनी ने उसे घूर कर देखा नीरज हँसने लगा - "अरे यार मैं तो उसकी तारीफ़ कर रहा था, तारीफ़ करना कोई जुर्म है क्या ....."
"नहीं पति देव .....लेकिन अगर लोग मेरी तारीफ़ करने लगते है तो तुम्हें गुस्सा क्यूँ आ जाता है तारीफ़ करना कोई जुर्म तो नहीं ......"शालिनी ने उसकी बातें उसी पर लौटाई ।
"चलो घर नहीं चलना है क्या ...नेहा के स्कूल जाने का टाइम हो रहा है ....."नीरज ने उसकी बात अनसुनी कर दी ।
सब काम से फ्री होकर शालिनी ने फेसबुक खोला , फेसबुक पर अभी भी छह साल की बच्ची से रेप और हत्या की ही चर्चा थी, उसका भी मन व्यथित हुआ उसने इन सब के विरोध में कुछ लिखने के लिये की पैड पर ऊँगलियाँ चलाई अचानक उसके मन मे बिजली सी कौंधी 'नीरज ....भी तो आने - जाने वाली लड़कियों पर कमेंट पास करता है ...ये भी तो छेड़खानी का ही एक रूप है ....नीरज की इन सब हरकतों को वो हँस के टाल जाती है .....लड़कियों को कितना बुरा लगता होगा नीरज का कमेंट पास करना .....लेकिन ....अब और नही वो नीरज को प्यार से समझायेगी और अगर ....नीरज फिर भी नहीं माना तो वो कोई सख़्त तरीका अपनायेगी ....आखिर उसकी बेटी भी तो बड़ी हो रही है .....किसी ने उसको छेड़ दिया तो ? नहीं ....नहीं ....नीरज सुधर जायेगा मुझे यकीन है .... समाज को सुधारने से पहले घर को सुधारने की
' शुरुआत' करनी चाहिये ....समाज़ भी तो घर के लोगों से बनता है ....' उसने निश्चिंत होकर एक गहरी साँस ली और की पैड पे ऊँगलियाँ दौड़ाने ली , उसके होठों पे अब मुस्कान थी ।