'ईया से जी की ओर' भाग 1.
'ईया से जी की ओर' भाग 1.
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अध्यापक के रूप में पहली बार विद्यालय के मंच पर अपने पहले कालांश से बात शुरू की! मेरा अध्यापक के रूप में पहला दिन। मैं काफी उत्साहित था !मैं इतना खुश था कि कोई सीमा नहीं थी !रात भर नींद नहीं आई इसी इंतजार में कि कल के दिन विद्यालय जाना है! विद्यालय में सुबह 7:00 बजे पहुंचना होता है, मैं 7:00 बजे की जगह 6:00 बजे ही विधालय पहुंच चुका था! विद्यालय में बैठकर 1 घंटे यही सोच रहा था कि विद्यालय में कब प्रवेश करके मां शारदा की सेवा का मौका पाऊं ,विद्यालय में धीरे-धीरे गुरुजन विधार्थी 7:00 बजे तक पहुंच चुके थे अभी सरस्वती वंदना प्रार्थना में अभी समय था।