हकीकत
हकीकत
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हकीकत की कीमत ना होती,
जो हम हकीकत ना जान पाते।
गुजर जाती जिंदगी गलतफहमियों में,
अपनों को ना पहचान पाते।
शुक्रिया उस हकीकत का,
जिससे खुदा ने वाकिफ़ करवाया।
अपनों के सितम सहते रहे,
अपनों ने ही आईना दिखलाया।
देर से ही सही, ये गुमान भी टूटा,
औरों की बात छोड़ो अपनों से ही धोखा खाया।
राज दर राज़ खुलते गए दिल पर,
खुद पर रहम आया।
शुक्रिया उस हकीकत का अब नहीं पछतावा।।