कश्मीर किसका है
कश्मीर किसका है
फ़क्र से कहते हैं जब ये प्रांत हमारा है,
तो क्यों नही समझते लोगों को भी अपना,
जो देखते हैं अपने बच्चों के लिए,
वही क्यों नही देखते उनके लिए भी सपना,
कब तक 'हम' को कैद करेंगे अपने ही घरों में,
कब तक 'हम' लड़ते रहेंगे अपने ही घरों में,
जो जला है किसी घर में, वो हम ही थे
जिसने लगाई थी आग, वो हम ही थे,
उसने चलाकर गोली, बोला 'जय हिन्द',
उसने खा कर गोली, बोला 'जय हिन्द',
कर न पाया मैं फ़र्क, कौन है देशभक्त,
बेहद दुःख है मन को एक फ़कत,
जिनको चलायी थी गोलियाँ हम ही थे,
जिसने खायी थी गोलियाँ हम ही थे,
लड़ाई है ये ज़मीन की,
या गुरूर की कह लो,
ज़ुल्म जो मिलता है
तो चुपचाप क्यों सह लो,
कोई खादी पहनके लगाता है जो इलज़ाम
कोई बन्दूक पकड़ के खाता है वो इलज़ाम
जिनको इलज़ाम लगाया हम ही थे,
जिसने इलज़ाम लगाया हम ही थे
जाने कब बदल गए हम 'अहम्' में
सोचता हूँ जब ये, गहरे ग़म में,
क्यों नही आते कबीर अब,
सिखाने अंतर म्यान और तलवारों के,
कहाँ गए वो नारे भाईचारे के,
मज़हब हैं क्या बस अब गाय और चारे के,
सिखा पाऊं जो मैं अब,
तो कहूं बस इतना ही,
तलवारें जिसने उठायी हम ही थे,
तलवारें जिसने खायी हम ही थे