एक नया सफर
एक नया सफर
अवदेश, विदेश का मिलन आज
कितना पावन कितना सुन्दर
आये राम जनकपुर में
आँखों में खुशियों का सावन
सीता सी कन्या देता हूँ
इसका जीवन अब तुमसे है
स्वीकार करो बेटा मन से
तेरे आगे नत मस्तक है
इस उपवन की, इस बगिया की
है लता सुकोमल,मंजू कली
बरबस ऑंखें है भींग पड़ी
अनजाने पथ पर आज चल
बिछड़न के ग़म से मन बोझील
सुख से अँखियाँ यह छलक पड़ी
तुमसे सुयोग्य जो पात्र मिला
अंतर की धड़कन विहँस पड़ी
यह नन्ही सी गुड़िया मेरी
सुख ही सुख में इसको रखना
हो भूल कभी, इससे कोई
अंतर से इसे क्षमा करना
फूलों से कोमल यह बेटी
बाँहों में इसे झुलाया है
थपकी देकर लोरियाँ सुना
गोदी में इसे सुलाया है
अरमान अनेक है, भाव एक
मैं झूम उठा तुमको पाकर
मेरी अँखियों के तारे हो
यह सुख दुःख का पावन समय है
मथनी सा मन को मथता है
जितना ही मन समझाता उतना ही विह्ल होता है
आज स्वदेश ,विदेश बन गया
घर पापा का हुआ पराया
मम्मी का आँचल भी छूटा
भाई बहनों का स्नेह गंवाया
रूठी सब सुकुमार बहारें
बचपन का अल्हड़पन छूटा
छूटा खेल आज गुड़ियों का
क्या सच मुच यह घर था छूटा
नव बंधन के नए भोर में
आशा के है फूल खिलाएं
घूँघट की झिलमिल झिलमिल में
जाने कितने दीप जलाए
दो अनजाने एक डगर पर
उत्सुक मन से आज चल दिए
एक डगर है, एक मोड़ है
ख़ुशियों का संसार भर लिए
भगवान विनय मेरी सुन लो
नव दंपत्ति जग में सुखी रहें
बहे जब तक गंग जमुना धारा..