कुछ पन्ने बिखरे मिले दिल के दराज में टिफ़िन को बाँटते मगर बचपन को जोड़ते पराठे दिखे किताबों में से छुपकर झाँकता कॅामिक्स नज़र आया कुछ खेल मिल गऐ अपनी पहचान खोते हुऐ लूडो, व्यापारी, लाली, कित्किता, चोर-पुलिस, आईस -पाईस जैसे और कंचे कैंडी क्रश से टकराते मिले दरियादिली दोस्तों का मिल गया फड़फड़ाता सा नौकरी के बीच समय खोजता कसमसाता सा बचपन का प्यार मिला काँपता सा दहलीजों की चार दिवारी से झाँकता सा चचा के पेंड़ से तोड़े अमरूद बिखरे पड़े थे उठाने चला तो गिरा हुआ जमीर मिल गया बड़े से मैदान में लगा मेला पुकार रहा था, आधुनिक गेम्स के बोझ से हार मान रहा था अखाड़े की दंगल रिश्तों में घर कर गई और खिलौने वाली कार बेकार पड़ गई साथ में दीवाली के घर बनाने वाले दीवार के आर पार हो गये जज़्बात दौलत के तराजू में गुम हो गये खुली सड़क के खरीददार हो गये ओर हम बचपन से अपने दरकिनार हो गये। दिल के दराज को बंद कर ही रहा था कि आँगन में खेलता किशोर हाथ हिलाता दिख गया सोचा गले से लगा के पन्ने समेट लूँ, उस वक़्त को ज़रा रोक लूँ अँगूठा दिखाया ज़माने ने और हँस पड़ी जिम्मेदारियाँ कहा दुनिया बड़ी हो गई तेरी प्यारे और दिल का बचपना सो गया नामुराद इन ऊँचाइयों को छूते छूते दिल छोटा हो गया