मिलन के रंग
मिलन के रंग
ख्वाबों ने उकेरी है
जो तस्वीर तनहाइयों में
उन में मिलन के रंग भर दो
चले आओ
की ख्वाबों से अब मन बहलता नहीं |
बहुत हुई बातें तस्वीर से
दे दो हाथों में हाथ
की ख्वाबों से अब मन बहलता नहीं |
ख्वाबों के दरीचों से निकल
आ जाओ हकीकत में
ज़रा सा ही तो फांसला है
दिल से दिल तक का
क्यों फिर मिलने में
ज़माने लगे ........
नहीं सुनता दिल और बात मेरी
बहला जाओ इसे होकर रूबूरु
देता ही रहेगा सदा ये तुम्हें
जब तक रहेगी ये जुदाई ........
चले आओ
की ख्वाबों से अब मन बहलता नहीं|
मिल जायेंगे रात और दिन
सूरज और चाँद भी
जब भर जायेंगे ख्वाबों में मिलन के रंग ||
~~~~ मीनाक्षी सुकुमारन ~~~~