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Meenakshi Sukumaran

Others

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Meenakshi Sukumaran

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कैसें कह दूं

कैसें कह दूं

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कैसे कह दूँ

राम हुई सिर्फ गंगा मैली

जब हो चुकी

सभ्यता , संस्कृति, रिश्ते

सभी दूषित ....

अपने हुए अजनबी अनमने

पराये पिरोये अपनत्व के हार

नहीं खिलते

फूल वफ़ा के

मन की पगडंडियों पर

क्यों है हर ओर

भ्रम का जाल

क्यों है हर नज़र

गुमशुदा वीरानियों में

मिलते नहीं दिल से दिल

बस है छलावा

रिश्तों का जो ढोता है

हर शख्स आज के दौर में

फिर कैसे कह दूँ

प्यार अभी भी जिंदा है

प्यार अभी भी जिंदा है  ||

~~~~ मीनाक्षी सुकुमारन ~~~~

 


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