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Dr. Akansha Rupa chachra

Others

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Dr. Akansha Rupa chachra

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कान्हा संग होली

कान्हा संग होली

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कन्हैया बिन तिरे लगते बिरंगे रंग होरी के

चले आओ कन्हैया जी रगेंगे संग टोली के। 


बजेंगे ढोल ताशे भी बजेगी बाँसुरी तेरी

थिरकती राधिका रानी कदम रुकते न गोरी के। 


खड़ी है ताक में तेरी लिए लठ आज सब गोपी

सभी मिल ले रही बदला तिरी मीठी ठिठोली के। 


कन्हैया भागते आगे पड़ी है राधिका पीछे

पकड़ में आ गए कान्हा जगे हैं भाग छोरी के। 


छुपे हैं गोपियों से श्याम बैठे हैं कदम डाली

मगर वह बच नहीं पाए नजर आए निगोरी के। 


पकड़ कर गोपियों ने आज घेरा है कन्हैया को

हुई फिर खूब खींचा तान बिखरे केश चोटी के। 


कन्हैया सोचकर हमको बड़ा आनंद आया है

कभी कर दो कृपा हम पर लगा दो रंग होली के। 


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