मौत
मौत
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घर में पलंग पर पड़ी
अस्सी साल की दादी,
हर क्षण दुआ कर रही है
अपने लिऐ मौत की,
हाथ पैर चलते नहीं
आँख से दिखाई देता नहीं,
मुँह में दाँत ना पेट में आँत
घर वाले चाहते हैं
दादी के सिधारने से पहले
पोते की शादी हो जाऐ,
बड़ी मुरादों से पोते की
शादी तय हुई है,
सुबह घर से निकला तो
बहुत ख़ुश था,
शेरवानी लाने जो जा रहा था
अपने ब्याह की,
पैर छू कर आशीर्वाद लिऐ दादी के
लाखों में एक है पोता
ख़ूब लम्बी उम्र पाऐ,
दादी की आँख में
ख़ुशी के आँसू उमड़ आऐ,
शाम को ख़बर आई
सड़क पार करते,
किसी ट्रक वाले ने
कुचल दिया उसे,
शेरवानी पास ही थी उसके
जब मौत हुई,
समझ नहीं आता
मौत क्यों अकसर भ्रमित होती है,
चली आती है उनके पास
जो जीना चाहते हैं...
और उन्हें पहचानती नहीं
जो जी रहे हैं मुर्दों की तरह।।