तू चलता चला चल
तू चलता चला चल
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तू चलता चला चल,
तेरी मंज़िल है जहा,
अन्धेरे में गुम मत हो,
तू सवेरा ला नया!
तू गुम इस भीड़ में,
अन्धेरे में भटका है!
रास्ते नज़र नहीं आ रहे,
एक जगह पर अटका है!
रौशनी की किरण आऐगी,
तेरे सपनों को सजाएगी,
तू हौसला तो रख कदम बढाने का,
ये नया सवेरा लेकर आऐगी!
ये तो छोटा सा पल है ज़िंदगी का,
अधूरी तेरी कहानी है,
तू चलता चल तेरी मंज़िल है जहाँ,
क्योंकि तुझे अपनी पहचान बनानी है!