मेरे पास रहो
मेरे पास रहो
मेरे पास रहो मिलन अभी बाक़ी है --
तुम्हें देखने की आस मेरी अभी बाक़ी है I
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ना जाना मुझे छोड़कर यूँ अकेले कभी --
नई बहारें आने में देरी अभी बाक़ी है I
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कैसे बताऊँ तुम्हारा साथ होते हुऐ भी --
तुझे पाने की मेरी चाहत अब भी बाक़ी है I
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वक़्त ने सही या गलत करवाया बहुत ज़िन्दगी में--
बस ख़ुशियों की लहर आना अब भी बाक़ी हैंI
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भुला मत देना मुझे कभी ख़ुद की ज़िन्दगी से --
क्यों कि बिन गगन के धरती भी अधूरी है ,
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क्या मालूम तू मेरी बनेगी या नहींं --
पर तेरी हाँ का इंतेज़ार मुझे अब भी बाक़ी हैI
ै----- रमन शर्मा ।