हमें देश तो लगता जैसे
हमें देश तो लगता जैसे
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हमें देश तो लगता जैसे
वृक्ष बड़ा हो प्यारा-प्यारा।
शाख-शाख पर त्यौहारों का
ढ़ेर सजा हो प्यारा-प्यारा।
उधर शाख पर लगता देखो
छूट रहीं फुलझड़ियाँ कितनी!
अरे अरे दीवाली जैसी
दीप लिये ख़ुश दिखती कितनी!
हाँ उधर वह शाख भी देखो
कैसे हिल मिल डोल रही है ।
ईद मिलन के मीठे-मीठे
बोल वह जैसे बोल रही है ।
अब शाख वह उधर की देखें
उस पर भी त्यौहार सजे हैं ।
क्रिसमस, ओणम, गुरुपर्व के
लगता जैसे फूल सजे हैं ।
अगर वृक्ष है देश हमारा
तो सींचेंगे जान लगाकर।
नहीं कसर छोड़ेगें कोई
अब छोड़ेंगे इसे बढ़ाकर।