नींबू ख़ूब सजाऐ
नींबू ख़ूब सजाऐ
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नींबू मेरा ख़ूब सयाना
उस पर नींबू आऐ।
हर टहनी ने देखो भैया
नींबू ख़ूब सजाऐ।
अभी तो छोटे और हरे हैं
प्यारे-प्यारे नींबू।
पकने पर ही हम तोड़ेंगे
अपने प्यारे नींबू।
पर थोड़ा शैतान भी है न
नींबू का यह पौधा!
चुभा के काँटे हँसता है न
नींबू का यह पौधा!