"कोई मेरे दिल की"
"कोई मेरे दिल की"
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कोई मेरे दिल की भी सुने क्या कहता है,
ये आजकल बड़ा उदास उदास सा रहता है।
कसीदें पढ़ता है लेकर के उसका नाम,
दर्द-ए-ग़म अपना कहने से लरजता है।
हुआ है शैदा उस दिलनशीं की सूरत पे,
देख अदाएं उसकी ये आहें भरता है।
ये नादान है बड़ा अपनी जिद्द पे है अड़ा,
रो रो कर अपने रब से फरियाद करता है।
बेचैन है हर घड़ी हर घड़ी बेकरार है,
सुनकर उसकी आहट ये मचलता है।
है ये शहज़ादा अपनी मर्जी का "सहर" गिरता है पड़ता है ख़ुद संभलता है।