मेरा दोस्त आज मुझसे दूर है
मेरा दोस्त आज मुझसे दूर है
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न पुकारो मुझे, आज बड़ा उदास हूं मैं,
मेरा दोस्त, मेरा यार, आज मुझसे दूर है,
बातें होती थी जिसके साथ देर देर तक,
आज उसकी आवाज सुनने को बेकरार हूं मैं,
मोहब्बत के रचे हुए खेल का हिस्सा हूं,
मैं खेल का टूटा हुआ एक खिलौना हूं,
क्या मालूम किसने लिखी ये कहानी,
जिसमें आधा अधूरा किरदार हूं मैं,
किस्से तो बहुत सुने थे बेवफाई के,
आज जीता जागता गवाह हूं मैं,
किसे आवाजें दूं इस हालात में,
किसी हकिम से जो ना मिटे वो दर्द हूं मैं,
सोचे समझे बिना कर लिया बे-पनाह इश्क,
क्या कहूँ यारों... खुद का ही गुनहगार हूं मैं।