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Nand Kishor

Others

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Nand Kishor

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संवादहीनता

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पापा, आज मैं आपसे, कुछ कहना चाहती हूँ... सुनोगे ना आप ?? कब से नहीं सुना आपने मुझे ? तरस गई हूँ... आपको सुनाने के लिऐ.. आपके दुलार के लिऐ .. याद है मुझे, जब मैं बहुत छोटी थी, आप सारा दिन, मुझे अपनी गोद में लेकर दुलार किया करते थे... मेरे साथ बच्चे बन जाते थे, मुझे अपनी पीठ पर बिठा कर पूरे घर में घुमाया करते थे.. रात को छत पर मुझे "चंदा मामा" से मिलाया करते थे.. मुझे परियों की कहानियाँ सुनाया करते थे... और जब मेरी पलकें झपकने लगती थीं, तो आप मुझे सीने से लगाकर, सुलाया करते थे.. पापा, याद है मुझे.. जब माँ मुझे डाँटती थी, तो कैसे आप माँ को डाँट दिया करते थे.. सबसे कहते थे कि मैं आपकी "परी" हूँ.. "ज़िन्दगी" हूँ.. लेकिन, पापा.. जबसे भाई आ गया, तबसे आप तो जैसे मुझे भूल ही गऐ... एक अरसा हो गया, आपने मेरे सिर पर हाथ नहीं फेरा.. मुझे दुलार नहीं किया.. मुझे "बेटा" कहकर नहीं पुकारा.. पापा... आप नहीं जानते कि, मैं कितना तरस रहीं हूँ.. आपके सीने से लगके सोने को.. आपसे बातें करने को.. बहुत कुछ बताना है आपको.. बहुत कुछ सुनना है आपसे.. पापा, सुनोगे ना आप ?? बोलो ना पापा.. कब सुनोगे आप ? बताईऐ ना पापा... तड़प रही हूँ मैं.. तरस रही हूँ.. बिलख रही हूँ.. आइऐ ना पापा.. जल्दी से.. और ख़त्म कर दीजिऐ.. आपके और हमारे बीच की इस "संवादहीनता" को... प्लीज पापा......


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