माँ का कर्जा लिखा हुआ है सबके नाम
माँ का कर्जा लिखा हुआ है सबके नाम
जननी जन्म भूमि और माता , दोनो को सब करो प्रणाम ।
दोनो की गोदी का कर्ज़ा , लिखा हुआ है सबके नाम ।।
माह रहे नौ बीच गर्भ में , जिसकी पीड़ा कही न जाय।
रक्त किया संचारित नस में , भोज उदर में रही खिलाय ।।
सहे प्रसव के कठ शूलें भी , उसमें भी आनंद मनाय ।
पुत्र रत्न की खातिर ऐसे , कितने दर्द अगन जल जाय ।।
सदा स्वयं गीले में रहती , पुत्र करे सूखे मे विश्राम ।
दोनो की गोदी का कर्जा ...........
परम अलौकिक दिव्य शक्ति को ,नाम दिया माँ करे पुकार ।
ये वात्सल्य प्यार की नदियाँ , बहती रहती पावन धार ।।
पारब्रह्म आ गोद मात की , राम लखन श्री और मुरार ।
भूल गये बैकुण्ठ धाम को , बरसे इतना नेह अपार ।।
पाते सब ही इन चरणों में , उत्तम से ये उत्तम धाम ।
दोनो की गोदी का कर्जा ..............
शाप मुक्त हुए सभी वसु जब , गंगा जैसी माँ की ठान ।
गौरव माँ का जितना गायें , मिले कण्ठ को उतनी शान ।।
पूत सपूत बनें अब सारे , दो माता को सब सम्मान ।
स्तनपान कराकर पाले माँ , रो-रो खाते जिसकी जान ।।
कोटि- कोटि हो वंदन माँ को , बन जाते सब बिगड़े काम ।
दोनो की गोदी का कर्जा ..........
लाल बनें फिर योद्धा उनके ,जन्म भूमि के आते काम ।
बन सैनिक सीमा पर लड़ते , दिखे सुबह कब उनको शाम ।।
घात करे रिपु दिन रातों में , करते उनका काम तमाम ।
देश भक्त ये पुत्र भारती , हाथ तिरंगा लेते थाम ।।
धरती माँ की देश भक्ति से , करते सेवा ये निष्काम ।
दोनो की गोदी का कर्जा .........
और वीर गति पा जाते जो , पीछे कब हटते हैं पाँव ।
दुश्मन चाल चले कैसी भी , उल्टे पड़ते उनके दाँव ।।
बाकी जनता भी सब सोचे , जन्म भूमि जननी का कर्ज ।
इनसे नेह निभाये ऐसे , सीखे फिर दुनिया ये फर्ज ।।
गद्दारों के प्राण हरो यूँ , भूल चलें वो सारे काम ।
दोनो की गोदी का कर्जा .......
माँ की सेवा और देश भू , अन्तः उर में रही समाय ।
करें प्रमाणित हर अवसर पे , इनपर भीड़ कभी जो आय ।।
दोनो ही भव पार उतारें , जप लो धरती, माँ का नाम ।
इनकी सेवा करते रहना , इनमें ही हैं सारे धाम ।।
कर वंदन चरणों में शत्- शत् , कौशिक पाओ नव आयाम।
दोनो की गोदी का कर्जा ..........