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Sanjay Kaushik

Others

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Sanjay Kaushik

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माँ का कर्जा लिखा हुआ है सबके नाम

माँ का कर्जा लिखा हुआ है सबके नाम

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जननी जन्म भूमि और माता , दोनो को सब करो प्रणाम ।

दोनो की गोदी का कर्ज़ा , लिखा हुआ है सबके नाम ।। 

माह रहे नौ बीच गर्भ में , जिसकी पीड़ा कही न जाय। 

रक्त किया संचारित नस में , भोज उदर में रही खिलाय ।। 

सहे प्रसव के कठ शूलें भी , उसमें भी आनंद मनाय । 

पुत्र रत्न की खातिर ऐसे , कितने दर्द अगन जल जाय ।। 

सदा स्वयं गीले में रहती , पुत्र करे सूखे मे विश्राम । 

दोनो की गोदी का कर्जा ...........

परम अलौकिक दिव्य शक्ति को ,नाम दिया माँ करे पुकार । 

ये वात्सल्य प्यार की नदियाँ , बहती रहती पावन धार ।। 

पारब्रह्म आ गोद मात की , राम लखन श्री और मुरार । 

भूल गये बैकुण्ठ धाम को , बरसे इतना नेह अपार ।। 

पाते सब ही इन चरणों में , उत्तम से ये उत्तम धाम । 

दोनो की गोदी का कर्जा ..............

शाप मुक्त हुए सभी वसु जब , गंगा जैसी माँ की ठान । 

गौरव माँ का जितना गायें , मिले कण्ठ को उतनी शान ।।

पूत सपूत बनें अब सारे , दो माता को सब सम्मान । 

स्तनपान कराकर पाले माँ , रो-रो खाते जिसकी जान ।। 

कोटि- कोटि हो वंदन माँ को , बन जाते सब बिगड़े काम ।

दोनो की गोदी का कर्जा ..........

लाल बनें फिर योद्धा उनके ,जन्म भूमि के आते काम । 

बन सैनिक सीमा पर लड़ते , दिखे सुबह कब उनको शाम ।। 

घात करे रिपु दिन रातों में , करते उनका काम तमाम । 

देश भक्त ये पुत्र भारती , हाथ तिरंगा लेते थाम ।।

धरती माँ की देश भक्ति से , करते सेवा ये निष्काम ।

 दोनो की गोदी का कर्जा .........

और वीर गति पा जाते जो , पीछे कब हटते हैं पाँव ।

दुश्मन चाल चले कैसी भी , उल्टे पड़ते उनके दाँव ।।

बाकी जनता भी सब सोचे , जन्म भूमि जननी का कर्ज ।

इनसे नेह निभाये ऐसे , सीखे फिर दुनिया ये फर्ज ।।

गद्दारों के प्राण हरो यूँ , भूल चलें वो सारे काम ।

दोनो की गोदी का कर्जा .......

माँ की सेवा और देश भू , अन्तः उर में रही समाय ।

करें प्रमाणित हर अवसर पे , इनपर भीड़ कभी जो आय ।।

दोनो ही भव पार उतारें , जप लो धरती, माँ का नाम । 

इनकी सेवा करते रहना , इनमें ही हैं सारे धाम ।।

कर वंदन चरणों में शत्- शत् , कौशिक पाओ नव आयाम।

दोनो की गोदी का कर्जा ..........

 

 


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