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richa agarwal

Others

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अल्हड़

अल्हड़

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हाँ एक लड़की है अल्हड़ सी,

बातों में थोड़ी बकबक सी

रीति रिवाज में कच्ची है,

या शायद उमर से अभी बच्ची है।।


भोर से पहले उठ जाती है,

साफ़ सफाई में जुट जाती है

शाम तक चौका बनाती रहती,

खुद खाने को रह जाती है।।


कुछ 103 बुखार है उसको,

पर बच्चे को दूध पिलाती है।

फिर भी उठ न पाए जब बिस्तर से,

तो बहाना बना कर सो जाती है।।


हाँ एक लड़की है अल्हड़ सी,

बातों में थोड़ी बकबक सी।


पढ़ी लिखी है समझदार है,

फिर भी सबकी सुनती है

आंदोलनों में चीखने वाली,

आज गूंगी सी लगती है।।


अजीब से मिज़ाज है कि,

मिज़ाज ही अलग है उसका

रात को आखिर में सोने वाली,

सपने देखना भी भूल गयी है।।


हाँ एक लड़की है अल्हड़ सी,

बातों में थोड़ी बकबक सी।


नादानियाँ कुछ ज्यादा है,

जो एक टाँग से दौड़ती है

कोई ग़लती हो ना जाये,

इसलिए लिस्ट बना कर रखती है।।


दोनों घर है उसके अपने,

फिर भी परायी सी लगती है

माँ बाप की वो लाडली भी,

शायद किसी की बहू बन गयी है।।


हाँ एक लड़की है अल्हड़ सी,

बातों में थोड़ी बकबक सी।



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