लेखक: निकोलाय नोसोव अनु.: आ. चारुमति रामदास लेखक: निकोलाय नोसोव अनु.: आ. चारुमति रामदास
हमारे जमाने में रात से ही चकिया पीसने लगते हमारे जमाने में रात से ही चकिया पीसने लगते