मैं अंदर ही अंदर बहुत दुखी थी। मैं अंदर ही अंदर बहुत दुखी थी।
मुझे मेरी सोसाइटी में हमेशा कवियत्री का कर संबोधन करने लगे सभी लोग। मुझे मेरी सोसाइटी में हमेशा कवियत्री का कर संबोधन करने लगे सभी लोग।