कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को खुलेआम दावत मिल रही है और तुम मुस्करा रही हो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को खुलेआम दावत मिल रही है और तुम मुस्करा रही हो
सिया को अचानक से चाय, बेस्वाद लगने लगी। सौदा शायद बहुत महँगा लग रहा था उसको। सिया को अचानक से चाय, बेस्वाद लगने लगी। सौदा शायद बहुत महँगा लग रहा था उसको।