बेटी बन कर विदा होती बहु बेटी बन कर विदा होती बहु
निधि फेरों पर बैठी थी उसके चेहरे पर दृढ़ता थी। निधि फेरों पर बैठी थी उसके चेहरे पर दृढ़ता थी।
दूर दूर तक मानो सन्नाटा पसरा हुआ था मेरा दिल तड़पते चित्कार कर रहा था दूर दूर तक मानो सन्नाटा पसरा हुआ था मेरा दिल तड़पते चित्कार कर रहा था