मगर मेरा सर झुका तो कांपते हांथों ने जमाने भर की दौलत दे दी" मगर मेरा सर झुका तो कांपते हांथों ने जमाने भर की दौलत दे दी"
आप वही परी हो ना जो रोज हमार सपनों में आके हमको अच्छा अच्छा खाना देती थी आप वही परी हो ना जो रोज हमार सपनों में आके हमको अच्छा अच्छा खाना देती थी