जिसे वो कभी भी अपने शब्द न दे सका और यह काग़ज़ कोरा ही रह गया। जिसे वो कभी भी अपने शब्द न दे सका और यह काग़ज़ कोरा ही रह गया।
फिर उन्होंने सोच की क्यों न संत ज्ञानेश्वर को पत्र लिखा जाए। फिर उन्होंने सोच की क्यों न संत ज्ञानेश्वर को पत्र लिखा जाए।
अपने मन से लडाई करती है कि क्यो उसे इतने सपने दिखाए नीता पूरी टूट जाती है ! अपने मन से लडाई करती है कि क्यो उसे इतने सपने दिखाए नीता पूरी टूट जाती है !